
उस निर्गुण राम को जान जो लहराए
वृक्ष पत्ते फूलांे में, नज़रों में बसकर सबकी दिखाए अपनें रूप अनेक।
झरनों में कल-कल करता पक्षियों में गाए प्रेम के गीत, कंठ में बैठा
बोले सबके सुनाए अपनें वचन अनेक।।
खुले गगन में फैला ब्रह्म विस्तीर्ण अनंत विराट, किसी व्यक्ति की
बात नहीं ये वो दिखाए अपनें रंग अनेक।
कायनात मंे हर तरफ उसकी ही ऊर्जा का विस्तार यहां,उस महान् को जानों
जो दिखाए सबको अपनें खेल अनेक।।
गुरू अवतार पैग़म्बर की सुगंध बह रही है संसार में, हैं ये रूहानी
पुश्प धरा के इस खुषबू को जाना जाए।
सबका संदेष है एक जिसको बांट लिया अंधे इन्सान नें, सदा रहा है ये
सदा रहेगा इस नूर को जाना जाए।।
राम कृश्ण बुद्ध जीसस हर पुश्प खिला इस धरा पर, हर फूल का इत्र दिल
में भरकर इस महक को जाना जाए।
बंद आंखों से सब भिन्न लगे अंतस आंख में सब एक समान, इस प्रेम
उत्सव में षामिल होकर महाआनंद को जाना जाए।।
अपनें पात्र को पवित्र कर लो मीरां के जैसा, ज़हर भी अमृत बन जाए जो
हृदय निर्मल हो जाए।
षुद्ध निर्दोश दिल है खुदा का घर भीतर आपके, ये जीवन नूरानीं बन
जाए जो हृदय निर्मल हो जाए।।
प्रेम की बयार बहे नूर की चांदनी में भीतर बाहर, हर मुष्किल आसान
हो जाए जो हृदय निर्मल हो जाए।
अपनें अन्तर तल को स्वछन्द बनाकर रखो सदा साथ अपनें, ईष्वर का
दीदार हो जाए जो हृदय निर्मल हो जाए।।
काम क्रोध लोभ मोह अंहकार की छाया पड़ी जिस जीवन पर, आत्मन रूप
दुर्बल हो जाए अपनें अक़्स को पाए कैसे।
वो उज्जवल होगा कैसे मैली चादर पड़ी जिस जीवन पर, धोनें के उपचार
व्यर्थ सब अपनें निर्मल रूप को पाए कैसे।।
काम ध्यान से दूर करे क्रोध ज्ञान का प्रकाष मिटाए, जीवन जोत जल ना
पाए अपने आप को पाए कैसे।
लोभ त्याग से दूर करे मोह प्रभु का नाम भुलाए, आत्म ध्यान षून्य
स्वभाव बिना नूर खुदा का पाए कैसे।।
ध्यान दान की महिमा जानों इस नष्वर जीवन में, ध्यान आत्म जोत जलाए
जीवन को महान बनाए।
ध्यान दान हर दान से बढकर है इस जीवन में, ध्यान असीमित लाभ
पहुंचाए जीवन को महान् बनाए।।
धन वस्तु दान का लाभ है सीमित संसार तक, ध्यान आत्मा का ईंधन इस
जीवन को सफल बनाए।
ध्यान से हर बंधन टूटे जीवन मुक्त हो जाए, तन मन आत्मा निर्मल कर
दे जीवन को सफल बनाए।।